देवी माँ शारदे
देवी माँ शारदे, मुझे ज्ञान दे माँ,
कर दे मुझ पर भी, तू ये एहसान माँ।
सबको देती तू ही ज्ञान है माँ,
करती विश्व का तू ही कल्याण माँ,
मुझको भी ये वरदान दे माँ,
कि मैं भूल के भी ना कोई भूल करूं माँ,
माँ बाप की हरदम मैं सेवा करूं माँ,
सब बड़ों को सदा सम्मान दूँ माँ,
भाई बहन को बस लाड़ प्यार करूं माँ,
द्दोटों का सदा ही सद्ज्ञान दूँ माँ।
हर अथिति का सत्कार करूं माँ,
दुश्मन से भी मैं प्यार करूं माँ,
देवी माँ शारदे, मुझे ज्ञान दे माँ,
कर दे मुझ पर भी, तू ये एहसान माँ।
आज मानव बदल रहा है, स्वार्थो से भर गया माँ,
इसे मानवता सदभावना का नित ज्ञान दे माँ।
तू सबको इतनी सी बस शाक्ति दे माँ,
जिससे सबमें इन्सानियत जिन्दा रहे माँ,
हर कुटिल बुद्धि को तू शुद्ध कर माँ,
अपने ज्ञान से उसे प्रज्जवलित तू कर माँ,
सबका हो जाये सबसे ऐसा बस प्रेम माँ,
ना जात की सीमा रहे, ना धर्म की ही दीवार माँ,
ऐसे बन्धन में तू सबको बांध दे माँ,
जिससे हो जाये पूरे विश्व का भी कल्याण माँ।
देवी माँ शारदे, मुझे ज्ञान दे माँ,
कर दे मुझ पर भी, तू ये एहसान माँ।
मन में ना बैर का कोई भाव आये माँ,
तू सबको इतनी सी बस समझ दे माँ,
दूर हो जाये विश्व से सब दरिद्रता माँ,
तू सबको इतनी सुख समृद्धि दे माँ,
विश्व में ना कोई सीमाओं का बन्धन रहे माँ,
ना रहे कोई वैमनस्य और टकराव ही माँ,
प्रेम ही हो जाये सबका धर्म माँ,
और प्रेम ही बन जाये कर्त्तव्य भी माँ।
अन्त में कर जोड़ कर मैं तेरा वन्दन करूं माँ,
मुझे अपनी अटल भक्ति का तू ये वरदान दे माँ।
देवी माँ शारदे, मुझे ज्ञान दे माँ,
कर दे मुझ पर भी, तू ये एहसान माँ।
कृपाल सिंह बेलवाल
बेडगांव(अल्मोड़ा)